Unique Urdu And Hindi Sad Shayari
◆फरेब देके उसे जीतना गवारा नहीं, अगर वो दिल से हमारा नहीं, हमारा नहीं।
~ अज़हर नवाज़
◆तुम्हारी बात लंबी थी.... दलीलें थी....बहाने थे.... मेरी बात इतनी थी कि.... मेरी आरज़ू तुम थे.......
◆उसी का शहर वही मुद्दई वही मुंसिफ़, हमें यक़ीं था हमारा क़ुसूर निकलेगा
~अमीर क़ज़लबाश
[मुद्दई=अपीलकर्ता,मुंसिफ़=न्याय करने वाला]
◆न बे-क़रार हो तू मेरी बे-क़रारी पर तड़प तड़प के ख़ुद आ जाएगा क़रार मुझे।
~जिगर जालंधरी
◆सर पर अपने, मैं उसके क़दमों की ख़ाक नहीं रखता मुख़ालिफ़ नहीं हूँ, फ़क़त उस से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखता
[मुख़ालिफ़=विरोधी,इत्तिफ़ाक़=सहमति]
◆बहुत अज़ीज़ हैं दिल को ये ज़ख़्म ज़ख़्म रुतें इन्ही रुतों में निखरती है तेरे हिज्र की शाम
~मोहसिन नक़वी
[हिज्र=जुदाई]
◆आप की आँख से गहरा है मिरी रूह का ज़ख़्म आप क्या सोच सकेंगे मिरी तन्हाई को
~मोहसिन नक़वी
Sad shayari in hindi
◆उसने हँसते हुए तोड़ा था हमारा रिश्ता हम सभी को ये बताते हुए रो देते हैं
~ज़ुबैर
◆कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता
~मिर्ज़ा ग़ालिब
[तीर-ए-नीम-कश=आधा खींचा हुआ तीर,ख़लिश=दर्द का एहसास]
◆मुझ को देखो मिरे मरने की.......तमन्ना देखो फिर भी है तुम को मसीहाई का दा'वा देखो ~हसरत मोहानी
◆वो भी क्या ख़ूब मसीहा था कि उसने हमको उतना बीमार किया जितनी शिफ़ा आती थी
~ राहुल झा
[शिफ़ा=बीमारी से निजात]
◆बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी, जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी। ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार, बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी..!!
~बहादुर शाह ज़फ़र
◆हाल-ए-दिल हम भी सुनाते लेकिन जब वो रुख़्सत हुआ तब याद आया
~नासिर काज़मी
Best sad shayari
◆वो तबीयत का मेरी था भी नही और फ़िर मै तो खुद अपना भी नही
~जौन एलिया
◆मुस्तक़िल महरूमियों पर भी तो दिल माना नहीं लाख समझाया कि इस महफ़िल में अब जाना नहीं ख़ुद-फ़रेबी ही सही क्या कीजिए दिल का इलाज तू नज़र फेरे तो हम समझें कि पहचाना नहीं
~ अहमद फ़राज़
[मुस्तक़िल महरूमियों=स्थायी रूप से किसी बात या व्यक्ति से विलग रहना]
◆छुपा हुआ जो नुमूदार से निकल आया
ये फ़र्क़ भी तिरे इंकार से निकल आया
~ज़फ़र इक़बाल
[नुमूदार=बीज जो अंकुरित होने की अवस्था में है]
◆अब तो फ़क़त सय्याद की दिलदारी का बहाना है वर्ना हम को दाम में लाने वाली घात गुज़र गई जानाँ।
~परवीन शाकिर
[सय्याद=शिकारी]
◆वो मोड़ जिस ने हमें अजनबी बना डाला... उस एक मोड़ पे दिल अब भी गुनगुनाता है
~सरदार अंजुम
◆हमारे जख़्म-ए-तमन्ना पुराने हो गए है कि उस गली में गए अब ज़माने हो गए हैं
~जौनएलिया
◆बे-नाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता
जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता
~निदा फ़ाज़ली
◆आज तो दिल के दर्द पर हँस कर
दर्द का दिल दुखा दिया मैं ने
~ज़ुबैर अली ताबिश
◆अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे
~शकील बदायुनी
[बे-हिस=बेसुध]
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box