Beautiful Gazal By Faiz Ahamad Faiz
कब तक दिल की ख़ैर मनायें कब तक रह दिखलाओगे
कब तक चैन की मोहलत दोगे कब तक याद न आओगे
बीता दीद उम्मीद का मौसम ख़ाक़ उड़ाती आँखों में
कब भेजोगे दर्द का बादल कब बरखा बरसाओगे
अहद-ए-वफ़ा और तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है हमसे क्या मनवाओगे
किसने वस्ल का सूरज देखा किस पर हिज्र की रात ढली
ग़ेसुओं वाले कौन थे क्या थे उनको क्या जतलाओगे
'फ़ैज़' दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी
तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर कितने दिन इतराओगे
फैज़ अहमद फैज़
(दीद=दर्शन,दिखाई देना
अहद-ए-वफ़ा=प्यार का वादा
तर्क-ए-मोहब्बत= , प्यार का परित्याग,सम्बन्ध विच्छेद
वस्ल=मिलन
हिज्र=जुदाई
लुत्फ़-ओ-करम= इनाम, अनुदान)
Beautiful Gazal By Faiz Ahamad Faiz
Kab Tak Dil Ki Khair Manaye
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box