है और भी दुनिया मे सुखनवर बहुत अच्छे,कहते हैं के ग़ालिब का अंदाज़-ए-बयाँ और...
ये बात ग़ालिब की शेर-ओ-शायरी में बिल्कुल सटीक बैठती है
उनका ज़िन्दगी के प्रति नज़रिया,और जीवन की हर परिस्थिति के अनुसार उनका विश्लेषण बहुत संक्षिप्त शब्दों में दिखाई देता है
प्रस्तुत शेर में ग़ालिब हमसे ये कहना चाहते हैं कि जीवन मे बहुत से कार्य और उनका आनन्द महज़ हम किसी भय की वजह से नहीं ले पाते हैं
और जीवन को पूरी तरह जी पाने में हम असफल ही साबित होते हैं
हमें चाहिए कि उस भय से बाहर निकल कर हम जीवन का पूर्ण आनन्द लें
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